बिलासपुर। फायनेंस कंपनी के मध्यस्थ द्वारा कंपनी के पक्ष में एकपक्षीय अवार्ड पारित किया गया ,ऋणी याचिकाकर्ता से अवार्ड राशि वसूली हेतु कंपनी ने सिविल न्यायालय में निष्पादन कार्रवाई भी शुरू कर दी। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी एकपक्षीय अवार्ड को निरस्त कर दिया।
याचिकाकर्ता रिकेश खन्ना ने चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी से लोन लेकर वाहन खरीदा था। ऋण भुगतान समान मासिक किस्तों में तय किया गया था। व्यापार हानि एवं अन्य कारणों से ऋण भुगतान में असमर्थ होने पर रिकेश ने वाहन को कंपनी के हवाले कर दिया था। इसके पश्चात चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी ने एकतरफा मध्यस्थ की नियुक्ति कर दी।

कंपनी द्वारा नियुक्त मध्यस्थ द्वारा कंपनी के पक्ष में एकपक्षीय अवार्ड पारित कर दिया गया। अवार्ड की वसूली हेतु कंपनी द्वारा सिविल न्यायालय में निष्पादन कार्यवाही प्रारंभ की गई। याचिकाकर्ता द्वारा सिविल न्यायालय में निष्पादन प्रकरण के विरुद्ध आपत्ति पेश की। आपत्ति निरस्त होने पर याचिकाकर्ता रिकेश खन्ना नेअधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका पेश की थी। याचिका में कहा था कि निष्पादन न्यायालय में प्रस्तुत निष्पादन प्रकरण क्षेत्राधिकार विहीन है तथा प्रारंभ से ही शून्य है। याचिका में कहा है कि मध्यस्थता संशोधन अधिनियम 2015 की धारा 12 उपधारा 5 सहपठित अनुसूची ७ के अनुसार संविदा में हितबद्ध पक्षकार द्वारा एकपक्षीय मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं की जा सकती तथा ऐसे एकपक्षीय मध्यस्थ के समक्ष की गई समस्त कार्यवाही प्रारंभ से ही शून्य है तथा क्षेत्राधिकार विहीन है। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत द्वारा जारी एकपक्षीय आदेश को निरस्त कर दिया है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन