रायपुर। आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि झूठे और खोखले वादों वाला रहा बजट। अर्थव्यवस्था कहां जाकर ठहरेगी, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। महंगाई को लेकर केंद्र सरकार जैसी निश्चिंत है, इससे तो आने वाले दिनों में आम जनता की मुश्किलें और भी बढ़ेंगी। बेरोजगारी कम करने या नए रोजगार सृजन को लेकर कोई रोडमैप भी नहीं है। ना किसानों को लागत पर 50 फीसदी लाभ का जिक्र और ना ही एमएसपी की गारंटी। ऐसे में किसान क्या करे और कहां जाए।
देश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जाने वाला घोर निराशाजनक बजट है। दावा था 8 से 9 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ रेट का लेकिन हकीकत 7 प्रतिशत से कम है। मोदी सरकार का फोकस केवल बिहार चुनाव पर है। जहां इसी वर्ष अक्टूबर नवंबर में चुनाव होना है। उन्होंने सवाल उठाया कि मखाना बोर्ड केवल बिहार के लिए ही क्यों। देश के बाकी किसान भाजपा सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं हैं। रावघाट सहित नई रेल लाइन रायपुर- बलौदा होकर रायगढ़ का अब तक सर्वे तक नहीं हो पा रहा है। बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता के लिए प्रत्यक्षतौर पर कोई राहत, रियायत या सब्सिडी नहीं है। केंद्रीय विभागों, नवरत्न कंपनियों और सरकारी उपक्रमों में लाखों की संख्या में पद रिक्त हैं लेकिन उन्हें भरने के लिए कोई कार्य योजना मौजूदा बजट में नहीं दिख रही है।
केसीसी की लिमिट बढ़ाने से किसानों का भला होने वाला नहीं, एमएसपी पर चुप्पी क्यों
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि देश के किसानों की केवल दो प्रमुख मांग है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के आधार पर एमएसपी तय हो और देश के प्रत्येक किसान को एमएसपी की कानूनी गारंटी मिले। दोनों प्रमुख मांगों का जिक्र ही नहीं है। मोदी सरकार के बजट में एक बार फिर से किसानों को ठगा है। केवल क्रेडिट कार्ड से कर्ज की लिमिट बढ़ाने से किसानों का भला नहीं हो सकता।

टैक्स, सरकार ने दिखाए झूठे सपने
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि बेसिक एक्सेंप्शन लिमिट और 87 के रिपोर्ट में अंतर है। टैक्स स्लैब के लिए केवल नए रिजिम ऑप्ट करने वालों के लिए बेसिक एक्जंप्शन लिमिट में मात्र एक लाख की बढ़ोतरी की गई है। 3 से 4 लाख, अर्थात 12 लाख से अधिक आय पर 4 लाख से अधिक के आय पर टैक्स देना होगा। यदि रिबेट के स्थान पर बेसिक एग्जामिनेशन लिमिट 12 लाख किया गया होता तो सभी टैक्स पेयर को इसका लाभ मिलता लेकिन यह सरकार केवल झूठे सपने दिखाती है।
निर्यात पर बढ़ती निर्भरता चिंता की बात
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि एमएसएमई के नाम पर एक बार फिर से झूठ बोला गया। वित्तीय संस्थानों के द्वारा दिए जाने वाले कर्ज की लिमिट बढ़ाकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। अपनी नाकामी पर परदेदारी भी चालाकी के साथ कर रही है। हकीकत यह है कि केंद्र सरकार के आंकड़ों में ही अधिकांश एमएसएमई 2 साल के भीतर ही बंद हो जा रहे हैं। आयात घाट रहे हैं निर्यात पर निर्भरता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। सारी राहत और रियायत केवल चंद पूंजीपति मित्रों को ही मिल रही है। छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। महंगाई कम करने और रोजगार के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief