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November 1, 2025 2:30 am

पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती

बिलासपुर। पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने बताया कि राज्य शासन द्वारा तय नियमों और मापदंडों के अनुसार संशोधन किया गया है।मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तिथि तय कर दी है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य शासन ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार बीते वर्ष 3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 ला चुकी है।
नगरीय निकाय चुनाव आरक्षण मामले में रायपुर और बीरगांव में आरक्षण को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को याचिकाकर्ताओं ने वापस ले ली है। इसी बीच सूरजपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती दी है।

याचिका में बताया है कि सरकार ने अध्यादेश लाकर बड़ी चूक की है। यह पूरी तरह औचित्यहीन होने के साथ ही मापदंडों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। अध्यादेश जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के 16 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक के सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराया गया है, केवल इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया है, जिसके कारण यह अध्यादेश वर्तमान में विधि-शून्य और औचित्यहीन हो गया है. ऐसी स्थिति में वर्तमान में संशोधन के आधार छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) में 24 दिसंबर 2024 को किया गया संशोधन पूर्णतः अवैधानिक हो गया है. याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती देते हुए अध्यादेश को निरस्त करने की मांग की है।
सूरजपुर ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने अधिवक्ता शक्तिराज सिन्हा के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया गया कि राज्य शासन ने ओबीसी आरक्षण को कई जिलों में शून्य कर दिया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार ने पांचवी अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है. इसके साथ सरकार पिछले साल 3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 ला चुकी है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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