बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों के सहायक शिक्षकों को बिना काउंसिलिंग पदस्थापना दिए जाने के मामले में सुनवाई करते हुए 27 दिसंबर 2024 को जारी पदस्थापना आदेश के प्रभाव और क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। इस मामले में राज्य सरकार समेत संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।
याचिकाकर्ता हलधर प्रसाद साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उन्हें और अन्य शिक्षकों को काउंसिलिंग के बिना ही बिलासपुर के डीईओ ने कोटा और मस्तूरी में पदस्थ कर दिया। जबकि, 7 फरवरी 2022 को राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, प्रमोशन के बाद शिक्षकों को काउंसिलिंग प्रक्रिया के जरिए ही पदस्थापना दी जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकील अश्वनी शुक्ला ने कोर्ट में तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं के विद्यालयों में पद रिक्त हैं, लेकिन उन्हें उनके मूल विद्यालयों में पोस्टिंग देने के बजाय अन्यत्र भेजा गया है, जो नियमों के विपरीत है।

24 मार्च तक दाखिल करना होगा जवाब-
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अमरेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षकों की काउंसिलिंग प्रक्रिया की अनदेखी और 7 फरवरी 2022 के सर्कुलर के उल्लंघन पर गंभीरता से विचार किया। कोर्ट ने 27 दिसंबर 2024 के पदस्थापना आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को उनके प्रमोशन से पूर्व के विद्यालयों में कार्य जारी रखने की अनुमति दी है। साथ ही, राज्य सरकार को 24 मार्च 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल 2025 को होगी।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief