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February 13, 2025 2:43 am

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स्कूल शिक्षा विभाग ने मापदंड का नहीं किया पालन, काउंसिलिंग व पोस्टिंग आदेश पर लगाई रोक


बिलासपुर। सहायक शिक्षक से हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति के बाद पदस्थापना से पहले काउंसिलिंग करना अनिवार्य है। नियमों का पालन ना करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पोस्टिंग आदेश पर रोक लगा दी है।
सहायक शिक्षक हलधर प्रसाद साहू ने अधिवक्ता अश्वनी शुक्ला के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विभाग के अफसरों द्वारा नियमों के उल्लंघन को लेकर चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में पदस्थ सहायक शिक्षकों को हेडमास्टर के पद पर प्रमोशन के बाद काउंसिलिंग के जरिए पोस्टिंग देने काआदेश है, लेकिन कुछ सहायक शिक्षकों को काउंसिलिंग के बगैर पदस्थापना दे दी गई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके प्रकरण में शिक्षा विभाग के अफसरों ने सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। काउंसिलिंग के बिना ही कोटा और मस्तूरी में पोस्टिंग दे दी है।


ये है नियम
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा 7 फरवरी 2022 को जारी सर्कुलर के अनुसार पद खाली होने पर पदोन्नत शिक्षकों को उसी स्कूल में ही पदस्थापना दी जानी है। उनके मामले में विभाग के अफसरों ने आदेश का उल्लंघन कर दिया है। जिस स्कूल में वे सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं वहां हेडमास्टर का पद रिक्त होने के बाद कोटा में पोस्टिंग दे दी है।
याचिका की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 27 दिसंबर 2024 को जारी आदेश के प्रभाव और क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने निदेशक, लोक शिक्षण द्वारा 07.02.2022 को जारी निर्देशों के मद्देनजर 27 दिसंबर 2024 के पदस्थापना आदेश के प्रभाव एवं प्रवर्तन पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं को अपने संबंधित विद्यालयों में कार्य करने की अनुमति दी है जहां वे पदोन्नति से पूर्व कार्यरत थे। राज्य शासन को नोटिस जारी कर 24 मार्च, 2025 तक या उससे पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने दो अप्रैल की तिथि तय कर दी है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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