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July 2, 2025 8:19 am

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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने SECR के इस फैसले पर हस्तक्षेप से किया इंकार, याचिका की खारिज

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के उस फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है, जिसमें रेलवे ने मेल एक्सप्रेस गार्ड को नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के तहत अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया है। कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

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बिलासपुर। मेल एक्सप्रेस गार्ड की याचिका पर सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जरुरी टिप्पणी के साथ याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि विभागीय जांच कानूनी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया का पालन करना अधिकारी से लेकर कर्मचारियों की ड्यूटी है। प्रक्रियागत निर्णय में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। रेलवे ने याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया है। इसके बाद ही निर्णय लिया है। रेलवे के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

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रेलवे के फैसले को चुनौती देते हुए दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर रेल मंडल में मेल, एक्सप्रेस गार्ड के पद में पदस्थ था। 22 अगस्त 2017 को उसकी डयूटी गीतांजलि एक्सप्रेस में थी। नागपुर रेलवे स्टेशन में न्यूज पेपर बंडल उतारने के लिए एसएलआर का सील नहीं खोला गया था। शिकायत पर रेलवे के मेडिकल ऑफिसर एल्कोहल जांच के लिए रक्त नमूना की मांग की। इस पर उसने रक्त नमूना देने से इंकार कर दिया था। मेडिकल अफसर की रिपोर्ट पर रेल प्रशासन ने उसे 11 अक्टूबर 2017 को रेल सेवा अनुशासन अपील नियम 1968 के तहत चार्जशीट दिया एवं विभागीय जांच प्रारंभ कर दी। दो वर्ष की जांच बाद जुलाई 2019 में जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसके बाद उसे पेंशन एवं अन्य लाभ देते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्त दे दी गई।

0 कैट ने रेलवे के निर्णय को ठहराया सही
रेलवे के फैसले के अलावा बोर्ड के अफसरों के समक्ष अपील पेश की। अपील खारिज होने पर कैट के समक्ष आवेदन दिया। कैट से भी अपील खारिज होने पर हाई कोर्ट में याचिका पेश की। याचिका में जस्टिस रजनी दुबे एवं जस्टिस बीडी गुरू की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्बांत का पालन किया गया। रेलवे प्रशासन ने याचिकाकर्ता को बचाव का पूरा अवसर प्रदान किया है। इसके बाद कार्रवाई की गई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए एसईसीआर के निर्णय को सही ठहराया है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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