बिलासपुर । शहर के तोरवा छठ घाट मे गुरुवार की शाम विहंगम नजारा था । छठ पर्व पर डूबते सूरज को अर्ध्य देने व्रतियों समेत हजारों श्रद्धालुओ की भीड़ रही ।हजारों हाथो ने उगते सुरज को अर्ध्य देकर परिवार ,देश ,प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की ।कलेक्टर ,एस पी,निगम आयुक्त भी इस मौके मौजूद रहे। राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने तोरवा छट घाट की सौगात दी थी ।पिछले 23 वर्षो से छठ पूजा समिति और नगर निगम के सौजन्य से यह पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है ।
गुरुवार शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए हजारों श्रद्धालु और व्रती अरपा नदी के किनारे स्थित तोरवा छठ घाट में एकत्र हुए। व्रतियों ने अपने परिवार और समाज के कल्याण के लिए डूबते सूर्य को नमन कर आशीर्वाद मांगा। इस दौरान घाट में भारी भीड़ रही । पर्व के दौरान भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इसके अलावा पूजा समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी पूरे समय व्यवस्था बनाने में जुटे रहे। इसमें प्रमुख रूप से पूजा समिति के प्रमुख वीएन झा, प्रवीण झा, धर्मेंद्र दास, रोशन सिंह, अभय नारायण राय समेत समाज के लोग बड़ी संख्या मे शामिल थे।
कलेक्टर व एसपी ने तो बो ट पर बैठ कर छठ घाट की व्यवस्था का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिये ।महापर्व छठ में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है, जो छठ पूजा का प्रमुख भाग है।
इस अवसर पर व्रतधारी महिलाएं, रंगीन परिधान पहनकर और गहने पहन् सिर पर पूजा की सामग्री लेकर नदी किनारे सज-धज कर पहुंचती हैं। पूजा की थाली में ठेकुआ, फलों, गन्ना, और पूजा के अन्य सामान को सजाकर व्रती अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं
संध्या अर्घ्य का दृश्य हर वर्ष अपने आप में विशेष होता है, जहां हर उम्र के लोग, चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग अरपा के छठ घाट तट पर एकत्रित होते हैं। सूर्यास्त के समय, जब सूर्य अपनी अंतिम किरणें बिखेर रहा होता है, तब श्रद्धालुओं की सामूहिकता से घाटों पर एक मनमोहक दृश्य उत्पन्न होता है।
छठ महापर्व का यह पर्व पर्यावरण और सामुदायिकता का अनूठा संगम भी है। इस दौरान घाटों को साफ-सुथरा रखने की कोशिश की जाती है। कई जगहों पर नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर घाटों की सफाई करते हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
कल तड़के सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत को संपन्न किया जाएगा।