बिलासपुर। राजनीति कब किस तरह करवट ले ले कुछ नहीं कहा जा सकता।कल तक कद्दावर मंत्री और नेता कहे जाने वाले रायपुर ,बिलासपुर के दो बड़े भाजपा नेताओं की स्थिति मोदी, शाह की रणनीति के आगे बड़ी विकट हो गई है ।रायपुर के कद्दावर नेता और अब पूर्व मंत्री हो चुके बृजमोहन अग्रवाल को मोदी शाह की कूटनीति के आगे विवश होना पड़ा और सांसद का चुनाव लड़ना पड़ा ।चुनाव भी लाख दो लाख नहीं बल्कि आठ लाख से भी ज्यादा के अंतर से जीत दर्ज करने वाले बृजमोहन अग्रवाल के पास सिर्फ सांसदी रह गई है जबकि 50 हजार वोटो से जीतने वाले कई सांसद केंद्र में मंत्री पद से नवाजे जा चुके है ।सांसद के रूप में बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के एक कार्यक्रम में पहुंचे बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी पार्टी के नए नवेले विधायक सुशांत शुक्ला से भेट के दौरान पूछ बैठे “और कैसे चल रही है विधायकी ?तो जवाब में नए नवेले विधायक ने कहा: क्या बताएं भैया आपकी कमी खल रही है ,आपके बिना मजा नहीं आ रहा ।दोनों के बीच और भी कई गोपनीय बातें हुई ।
बृजमोहन अग्रवाल को तो सांसद का चुनाव लड़वाकर पार्टी ने छग मंत्रिमंडल से बाहर ही कर दिया लेकिन एक और कद्दावर मंत्री कहे जाने वाले बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल अभी भी मंत्री बनाए जाने की बाट जोह रहे है ।उनके लिए तब तक गुंजाइश की गुंजाइश है जब तक साय मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो जाता लेकिन सरकार बनने के बाद 7 माह बाद भी मंत्री नहीं बनाए जाने की पीड़ा ऐसा है कि रहा भी नहीं जा रहा और किसी से कहा भी नहीं जा रहा । बृज मोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल को बेहतर चुनावी प्रबंधन के लिए जाना जाता रहा है लेकिन मोदी शाह की रणनीति ने एक झटके में दोनों अग्रवाल बंधु को मंत्री नहीं बनाए जाने का ग़म दे दिया है ।दोनों कद्दावर मंत्री के सामने किसी की नहीं चलती थी लेकिन समय बड़ा बलवान होता है ।समय के आगे किसी का वश नहीं है ।पहली बार अरुण साव को सांसद की टिकट दिलवाने और चुनाव जितवाने में भी महती भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और बृजमोहन अग्रवाल की उपस्थिति में रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री अरुण साव को बनाया गया था ।कार्यक्रम में तीनों एक साथ दिखे लेकिन दोनों पूर्व मंत्रियों के दर्द को कोई नहीं समझ पाया । मोदी और शाह की रणनीति को भी कोई नहीं समझ पा रहा ।नए और नौसिखिए विधायकों को मंत्री का लबादा ओढ़ाकर अनुभवी ,तजुर्बेकार और नौकरशाह को अपने इशारे पर काम करवाने में 15 साल तक अपना लोहा मनवा चुके वरिष्ठ नेताओं को एक झटके में सिर्फ विधायक ही रहने देने की मोदी शाह की रणनीति किसी के पल्ले नहीं पड़ रही। पहले लालच !दिया गया कि लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को अच्छी बढ़त दिलाएं फिर मंत्री पद के बारे में विचार किया जाएगा ।अमर अग्रवाल विधानसभा सभा चुनाव खुद तो 28 हजार वोटो से जीते मगर पार्टी के फरमान का पालन करते हुए लोकसभा चुनाव में बिलासपुर विधानसभा से पार्टी के प्रत्याशी को 54 हजार वोटो को बढ़त दिलवाई मगर अमर अग्रवाल अभी भी मंत्री बनने वाले विधायकों के कतार में हैं।यह कोई नहीं समझ पा रहा कि अनुभवी,तजुर्बेकार और शासन चलाने में सक्षम वरिष्ठ विधायकों, पूर्व मंत्रियों के प्रति भाजपा के बड़े नेता इतना निष्ठुर और निर्दयी कैसे हो सकते है और फिर छत्तीसगढ़ में मंत्री पद से वंचित किए गए जिन नेताओं की बात हो रही है वे सभी कम से कम 70 साल के तो नहीं है अन्यथा लगता है उन्हें भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में भेज देने मोदी शाह की जोड़ी कोई कसर ही नहीं छोड़ती ।वैसे बृजमोहन और अमर के समर्थकों का कहना है कि अभी दोनों भैया की उमर ही क्या है? उनमें तो कई टर्म मंत्री बनने की ऊर्जा और योग्यता है । खैर साय मंत्रिमंडल के विस्तार की बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी संगठन के बड़े नेताओं ने मंत्री पद की चाह रखने वाले विधायकों ,पूर्व मंत्रियों की पीठ थपथपा कर लोकसभा चुनाव में किए मेहनत के लिए बधाई देते हुए ऐसा ही मेहनत नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में भी करने का निर्देश दे दिया है उसके बाद ही साय मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा ।वैसे भी कहा गया है “जो मजा इंतजार में वह मुलाकात में कहां है”सो मंत्री पद की आस में जिन जिन विधायकों को एक एक दिन पहाड़ लग रहा हो उनके लिए इंतजार करने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं है ।