रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार गठन के बाद अब नेताओं की बहुप्रतीक्षित ‘अच्छे दिनों’ की शुरुआत होने वाली है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सरकार और संगठन अब उन नेताओं को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है, जो लंबे समय से पदों की आस लगाए बैठे हैं। सूत्रों की मानें तो अप्रैल माह में निगम-मंडलों और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है।
निगम-मंडलों में नियुक्ति का फार्मूला तैयार
भाजपा संगठन और सरकार के बीच निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर सहमति बन गई है। अधिकांश पदों के लिए नाम लगभग तय हो चुके हैं और बस आधिकारिक घोषणा बाकी है। माना जा रहा है कि पार्टी की विचारधारा के प्रति निष्ठावान और चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
मंत्रिमंडल विस्तार पर मंथन जारी, कुछ मंत्री हो सकते हैं बाहर

वर्तमान में मंत्रिमंडल में दो पद खाली हैं, लेकिन दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है। सूत्रों के अनुसार, सरकार कुछ मंत्रियों को बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है, क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा बजट सत्र में कुछ मंत्रियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर भी चर्चा है कि नए और पुराने चेहरों के बीच संतुलन बैठाने की कवायद चल रही है।
24 और 30 मार्च को बड़े नेताओं के दौरे के बाद हो सकती है घोषणा
प्रदेश में 24 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और 30 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा प्रस्तावित है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इन हाई-प्रोफाइल दौरों के बाद सरकार और संगठन खाली पड़े पदों को भरने में पूरी ताकत झोंक देगा।
बेसब्री से इंतजार कर रहे नेता, सब्र का बांध टूटने के कगार पर

चुनावों के कारण अब तक भाजपा नेतृत्व ने इन नियुक्तियों को टाल रखा था, लेकिन अब जब नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा का परचम लहराया है, तो पद की चाह रखने वाले नेताओं का धैर्य जवाब देने लगा है। पार्टी के भीतर कई दावेदार अपना जोर लगा रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और संगठन के वरिष्ठ नेताओं को लेना है।
अप्रैल में भाजपा के कई नेताओं की किस्मत खुलेगी!
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अप्रैल भाजपा के कई नेताओं के लिए ‘अच्छे दिन’ लेकर आएगा। जहां निगम-मंडलों की कुर्सी के लिए नाम तय हो चुके हैं, वहीं मंत्रिमंडल विस्तार में भी जल्द तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि कौन किस पद पर आसीन होता है और किसका सपना अधूरा रह जाता है।
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Author: Ravi Shukla
Editor in chief