मतदाता कह रहे जिसकी सरकार उसी का पार्षद हो और महापौर भी मगर यह भी कह रहे 4 से 5 बार पार्षद रह चुके अहंकारी प्रत्याशियों को घर बिताया जाए

चुनावी शोरगुल थमा ,वार्डो में पैसे और शराब बांटे जा रहे
भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओ के वार्ड में मुकाबला तगड़ा ,
कुछ निर्दलीय की स्थिति मजबूत , फिफ्टी -फिफ्टी के चांस दिख रहे

बिलासपुर । नगर निगम चुनाव के लिए पार्षद प्रत्याशियों द्वारा पिछले 11 दिनों से किये जा रहे प्रचार का शोर थम चुका है । मतदान शुरू होने में 24 घण्टे शेष रह गए है। अब तक के प्रचार में जो तस्वीर उभर कर आ रही है उसके मुताबिक महापौर के दावेदार और कई बार पार्षद रह चुके कांग्रेस भाजपा के बड़े नेताओं में से अधिकांश के वार्डो में तगड़ा मुकाबला है जबकि कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर आ सकते है । कांग्रेस भाजपा के बीच फिफ्टी फिफ्टी की गुंजाइश दिख रही है ।

नगर निगम के पार्षद प्रत्याशियों के पूरे 70वार्डो में चुनाव प्रचार थम चुका है । साथ ही 24 घण्टे बाद सारे प्रत्याशियों के भाग्य मतपेटियों में बंद हो जाएगा । कौन उम्मीदवार जीत रहा और किसकी हार हो रही , किसको बहुमत मिलेगा और किस दल का महापौर बनेगा यह चर्चा आज से ही चौक चौराहों पर शुरू हो चुकी है मगर चूंकि मतदान 24 घण्टे बाद शुरू होगा इसलिए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने प्रत्याशियों के कार्यकर्ता स्लम एरिया वाले क्षेत्रोँ में नगदी व शराब बांट रहे है । सम्भव है एक ही रात में बाजी पलट जाए ।

कांग्रेस प्रत्यशियो में प्रमुख रूप से शेख गफ्फार , बसन्त शर्मा , शैलेन्द्र जायसवाल , शेख नजीरुद्दीन , नरेंद्र बोलर , विजय केशरवानी राजेश शुक्ला की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो भाजपा प्रत्याशियों में अशोक विधानी , राजेश सिंह राजेश मिश्रा , दुर्गा सोनी , रमेश जायसवाल ,चंद्रभूषण शुक्ल ,विजय ताम्रकार आदि प्रत्याशियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी । है । दो वार्ड ज्यादा चर्चित है जिसमे निर्दलीय प्रत्याशी शहजादी कुरैशी और संध्या तिवारी की स्थिति मजबूत दिख रही है । इन दोनों ने कांग्रेस से टिकट नही मिलने पर पार्टी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया ।

पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के बीच एक साल बाद फिर मुकाबला
चार बार विधायक रहने वाले पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को साल भर पहले ही राजनीति आये शैलेंश पांडेय ने हराकर बिलासपुर में इतिहास रच दिया जबकि अमर अग्रवाल के बेहतर चुनावी प्रबंधन के आगे सारे प्रत्याशी घुटने टेक देने विवश रहते थे । विधान सभा चुनाव में पराजय के बाद अपनी स्थिति को सुधारने अग्रवाल को नगरीय निकाय चुनाव में प्रभारी बनने का अवसर मिल गया और बिलासपुर नगर निगम में उन्होंने अपने सारे समर्थकों को भाजपा प्रत्याशी बनादिया।उधर विधायक शैलेश पांडेय अपने कितने समर्थकों को कांग्रेस प्रत्याशी बनवाने में सफल रहे यह स्पष्ट तो नही है मगर वे जिस तरह कई वार्डो में घूम घूम कर धुंआधार प्रचार कर रहेहै उससे लग रहा है कि उनकी भी प्रतिष्ठा कई वार्डों में दांव पर लगी है । यानि अमर अग्रवाल और शैलेश पांडेय साल भर के भीतर ही पार्षदचुनाव के बहाने आमने सामने है । कौन किसको पटखनी देता है और किसके पार्षद ज्यादा संख्या में जीत कर आते है यह 24 दिसम्बर को स्पष्ट हो जाएगा ।

जिसकी सरकार उसी का पार्षद ,
आम तौर पर मतदाता यह समझने लग गए है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार है उसी का पार्षद और महापौर हो तो शहर और वार्डों का विकास सम्भव है । ऐसा वे उदाहरण देकर भी बताते है कि भाजपा शासन काल मे कांग्रेस महापौर श्रीमती वाणी राव के होने का बदला सरकार ने बिलासपुर से लिया ।
कई वार्डो के ऐसे मतदाता जिन्हें राजनीति से मतलब नही है वे खुले तौर पर कह रहे है कि एक बार सफाई जरूरी है और जिस तरह 15 साल के भाजपा सरकार को नकारा गया वैसे ही 4 , 5 बार पार्षद रह कर अहंकारी हो चुके भाजपा प्रत्याशियों को भी हराया जाना चाहिए और नए लोगो को मौका देना चाहिए क्योंकि कई बार पार्षद बनाकर इन भाजपा प्रत्याशियों को देख चुके । काम कुछ भी नही कराए और अहंकारी होने के साथ ही जनता के साथ उनका व्यवहार भी बदल चुका है । ऐसे कई प्रत्याशी अपने वार्डो में फंस चुके है और तगड़ी टक्कर का सामना भी कर रहे है ।

बड़े चेहरे प्रचार से नदारद रहे
पार्षद चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रोड शो को छोड़ दे तो कांग्रेस भाजपा से कोई भी बड़ा नेता प्रचार में नही आया । भाजपा में तो अमर अग्रवाल ही सर्वेसर्वा रहे । नेता प्रतिपक्ष धरम कौशिक , के साथ ही विधायको डॉ बांधी और रजनीश सिह तथा हर्षिता पांडेय अपने अपने विधानसभा क्षेत्र के वार्डो को जिताने में सक्रिय रहे हालांकि भाजपा की बैठकों में ये नेता बिलासपुर में जरूर नजर आए ।

कई बडे चेहरे हारेंगे , नए को मिलेगा मौका
निगम चुनाव में वार्डो का जो समीकरण दिख रहा है उससे लग तो यही रहा है कि कई बड़े चेहरे चुनाव में हारेंगे और मतदाता नए चेहरों को मौका देगी ।इसके पीछे अनेक कारण है ।

रवि शुक्ला . निर्मल माणिक

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