छत्तीसगढ़: भिलाई में पशु क्रूरता का विरोध करना पत्रकार पर भारी पड़ गया शिक्षक ने अपने साथियों के साथ मिलकर पत्रकार पर ही हमला कर दिया ।पुलिस ने प्राचार्य के खिलाफ बीएनएस की धारा 296,115 (2)3(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया है ।

इस संबंध में दीनदयाल कॉलोनी, जुनवानी रोड, भिलाई निवासी, पशुप्रेमी पत्रकार लाभेश ने बताया कि, जब स्मृति नगर चौकी क्षेत्र में पशु क्रूरता के खिलाफ उसने आवाज उठाई, तब सचिन शुक्ला नामक व्यक्ति अपने साथियों के साथ उसके साथ न केवल गाली-गलौज की, बल्कि मोबाइल छीनने के साथ शारीरिक हमला भी किया। उन्होंने गालियाँ दीं, कई मुक्के मारे और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया साथ ही सरेआम अपमानित किया।

चूकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते एक पत्रकार हमेशा लोगों की आवाज बनता है। बेजुबान जानवरों को न मारने के लिए समझाइश देने गए एक पशुप्रेमी जो पेशे से पत्रकार है, जब उसके साथ एक शिक्षक दुर्व्यवहार करें तो आप क्या कहेंगे? कुछ इसी तरह की घटना छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब कहे जाने वाले भिलाई में गुरुवार को हुई। भिलाई निवासी जम्मू कश्मीर के एक नामी स्कूल में प्रिंसिपल सचिन शुक्ला ने अपने साथी-पड़ोसी अवनीश कुमार के साथ मिलकर भिलाई के पत्रकार लाभेश घोष से गाली-गलौज और मारपीट की है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योकि उसने एक इंसान होने का फर्ज निभाया और बेजुबान को मारने से रोका।

इस मामले में भिलाई के पत्रकारों ने मारपीट करने वाले प्राचार्य आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। सबसे गंभीर बात यह है कि जानकारी के मुताबिक सचिन शुक्ला एक शिक्षक हैं और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के डीएवी स्कूल के किसी शाखा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज को नैतिकता, करुणा और अहिंसा का पाठ पढ़ाना होता है, लेकिन जब खुद एक शिक्षक इस तरह की हिंसा करता है, तो यह पूरे समाज और शिक्षा प्रणाली के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। ऐसे शिक्षक बच्चों को क्या सिखाएंगे? क्या हम ऐसे समाज में रहना चाहते हैं, जहाँ नैतिकता और संवेदनशीलता को नजरअंदाज कर दिया जाए।

सरकार भी पशुओं की क्रूरता को लेकर गंभीर है और इसको लेकर कुछ अहम क़ानून भी बनाए है ।
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 – इस अधिनियम के तहत पशुओं के साथ किसी भी प्रकार की क्रूरता गैरकानूनी है, और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- BNS 325 – यह प्रावधान स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करता है कि किसी भी पशु को गंभीर चोट पहुँचाना एक अपराध है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(G) – यह अनुच्छेद स्पष्ट रूप से कहता है कि प्रत्येक नागरिक को यह मूलभूत अधिकार प्राप्त है कि वह पशुओं को भोजन करा सकता है और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकता है। किसी को भी उन्हें मारने, प्रताड़ित करने या उनके विस्थापन (relocation) का अधिकार नहीं है।
न्याय की माँग और समाज के लिए संदेश
पत्रकार लाभेश ने प्रशासन और कानून से अपील की है कि सचिन शुक्ला और अवनीश कुमार के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि न्याय मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाएँ न दोहराई जाएँ।

लाभेश ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति पर हमले का नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है – कि क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ हिंसा, अन्याय और दमन को सामान्य मान लिया जाएगा? यदि हम आज चुप रह गए, तो कल यही हिंसा हमारे और हमारे बच्चों के खिलाफ भी हो सकती है। समाज के प्रत्येक नागरिक को यह समझना होगा कि नैतिकता, करुणा और अहिंसा ही एक सभ्य समाज की नींव हैं।

जब हम जानवरों के साथ क्रूरता की अनदेखी करते हैं, तो यह धीरे-धीरे समाज में बड़े अपराधों का रास्ता खोलता है। अगर एक शिक्षक इस तरह की हिंसा कर सकता है, तो सोचिए कि आने वाली पीढ़ी के लिए वह क्या उदाहरण पेश कर रहा है? सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, और जागरूक नागरिकों से अपील करता हूँ कि इस मामले को गंभीरता से लें और न्याय के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन