Explore

Search

November 20, 2025 12:00 pm

कानाफूसी

कलेक्टर को आखिर गुस्सा क्यों आया

हमेशा कूल-कूल अंदाज़ में रहने वाले कलेक्टर साहब को आखिर गुस्सा क्यों आ गया, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल जिले में नवाचार की दिशा में एक नई पहल की जा रही है गर्भवती महिलाओं को जरूरी टिप्स देने के लिए सेंटर की शुरुआत।संस्थागत प्रसव के साथ ही पीएचसी और सीएचसी में गर्भवती महिलाओं की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने को लेकर कलेक्टर बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ले रहे थे।

मीटिंग के दौरान जब बीएमओ को जरूरी हिदायतें दी जा रही थीं तभी पुराने अनुभवों का ज़िक्र हुआ और बात कुछ यूं मुड़ी कि माहौल का तापमान बढ़ गया।अब भला जब कलेक्टर को गुस्सा आता है तो असर लंबे वक्त तक दिखता ही है। माना जा रहा है कि इस फटकार के बाद अब स्वास्थ्य विभाग का कामकाज पटरी पर आता नजर आएगा।

गजब हुआ-सबूत भी छोड़ गए

सारंगढ़ उपजेल के अफसरों की करतूतें तो पहले ही सुर्खियों में थीं अब अम्बिकापुर जेल के कुछ कर्मियों ने भी उसी तर्ज़ पर कारनामा कर दिखाया है।आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी से करीब सवा लाख रुपये की ऑनलाइन वसूली कर ली गई। लेकिन चालाकी ज़्यादा दिन नहीं चल पाई भांडा फूट गया।मामला अब बड़े अफसरों तक पहुंच चुका है। जांच होगी, बयान दर्ज होंगे और फिर नतीजा सबको पता है कैदी का ट्रांसफर तो तय है पर वर्दीवालों का क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।सारंगढ़ के कुछ अफसर पहले ही ऑनलाइन वसूली में नप चुके हैं, अब अम्बिकापुर की बारी है। आगे-आगे देखते जाइए, होता क्या है।

कुर्सी की तलाश में सक्रिय संभावना

कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान पूरे जोरों पर है। मध्यप्रदेश से लेकर पड़ोसी राज्यों तक, बड़े-बड़े नेताओं को अध्यक्ष पद के दावेदारों पर रायशुमारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस बार पार्टी के अंदर सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला आज़माया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार सिफारिश नहीं बल्कि ज़मीन पर पकड़ और कार्यकर्ताओं की राय काम आएगी।पर सियासत है भई यहां कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। कुर्सी की चाह रखने वाले लगातार परिक्रमा में हैं कभी नेता जी के दरबार में तो कभी पर्यवेक्षक के सामने।कांग्रेस है पता नहीं अध्यक्ष की कुर्सी किस राह से मिल जाए इसलिए सभी हर संभावनाओं को टटोलने में जुटे हैं।

पीएचक्यू में बिलासपुर की मजबूत रिपोर्ट

हाल ही में बिलासपुर में जो घटनाएं हुईं और जिस सधे अंदाज़ में पुलिस कप्तान ने हालात को संभाला उसकी तारीफ राजधानी तक पहुंच चुकी है।सरकंडा क्षेत्र में बिगड़ते हालात को जिस शांति से काबू किया गया वह पुलिस मुख्यालय पीएचक्यू के अफसरों को भी गदगद कर गया।थोड़ी सी भी चूक होती तो हालात क्या से क्या हो जाते। लेकिन समझदारी भरे फैसलों ने सबकुछ थाम लिया।

अब चर्चा आईपीएस तबादलों की भी है 

दीपावली के बाद आधा दर्जन अफसरों की सूची जारी होने की उम्मीद है।अंदाज लगाते रहिए… कौन-कौन नाम इसमें शामिल होंगे!

प्रेस क्लब चुनाव और गिरती मर्यादाएँ

प्रेस क्लब चुनाव का जिक्र मौजूदा परिवेश में जरूरी हो गया है। बीते कुछ दिनों से प्रेस क्लब की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुँचाने की जो कोशिशें हो रही हैं, वे किसी भी दृष्टि से न तो उचित हैं और न ही उनका समर्थन किया जा सकता है।चुनाव आया और गया यह एक सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी, लेकिन इस दौरान और उसके बाद जो कुछ घटित हुआ, वह न केवल चिंता का विषय है बल्कि निंदनीय भी है।हाल के दिनों में यह भी देखने में आया है कि जो लोग चुनावी माहौल में खुलकर विरोध नहीं कर पाए वे अब पर्दे के पीछे रहकर अपनी गंदी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रेस क्लब के चुनाव को क्लब की चारदीवारी से निकालकर घर-परिवार तक ले जाना अत्यंत शर्मनाक और घटिया हरकत है। यहां तक कि कुछ लोगों ने पुलिस में झूठी शिकायतें करवाने से भी परहेज़ नहीं किया, जिससे न केवल प्रेस क्लब बल्कि पत्रकारिता की गरिमा को भी ठेस पहुँची है।

अब कुछ सवाल सभी के सामने हैं 

क्या चुनावी माहौल को व्यक्तिगत रंजिश में बदलना चाहिए,क्या पर्दे के पीछे रहकर उकसाने और माहौल बिगाड़ने वालों को बेनकाब नहीं किया जाना चाहिए? इन सवालों के जवाब ढूंढना पत्रकार समाज के सम्मान और एकता के लिए बेहद जरूरी है।

कांग्रेस में संगठन सृजन और सियासी समीकरण

कांग्रेस में इन दिनों संगठन सृजन की प्रक्रिया चल रही है। शहर और जिलाध्यक्ष के नाम तय करने के लिए ऑब्जर्वर पहुंच रहे हैं। दावेदारों में वे लोग भी शामिल हैं जो सत्ता के गलियारों में सक्रिय रहे हैं। मगर दिक्कत यह है कि कई दावेदार ऑब्जर्वरों के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं। राजनीति के माहिर खिलाड़ी अब खिलाफी की तर्ज पर दांव खेलने में जुट गए हैं सिफ़ारिशें, दबाव और जोड़तोड़ की राजनीति खुलकर सामने आने लगी है।

कहा जा रहा है कि इस खेल में पूर्व और वर्तमान विधायक (Ex और Sitting MLA) दोनों शामिल हैं। अब देखना यह है कि किसका दांव चलता है और कौन इस राजनीतिक बाज़ी को जीत ले जाता है।

अटकलबाजी

कांग्रेस में शहर और जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। अब देखना यह है कि बाजी गुटीय राजनीति मारती है या नेता जी की पसंद पर मुहर लगती है।

उधर गौसेवा आयोग ने जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक की समितियों का गठन कर दिया है।भाजपा की राजनीति में हाशिए पर जा चुके कुछ नेताओं के लिए यह नियुक्ति डूबते को तिनके का सहारा साबित हो रही है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

Advertisement Carousel
CRIME NEWS

BILASPUR NEWS