कानपुर/लखनऊ। अमर शहीद हेमू कालाणी के 102वें जन्मदिवस के अवसर पर सिंधी समाज के प्रख्यात देशभक्त संत, मसन्द सेवाश्रम रायपुर के पीठाधीश एवं परम धर्म संसद 1008 के संगठन मंत्री साईं जलकुमार मसन्द साहिब के प्रभावी व्याख्यान कानपुर व लखनऊ में संपन्न हुए।
उक्त जानकारी मसन्द सेवाश्रम रायपुर के प्रवक्ता मयंक मसन्द प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से साझा करते हुए बताया कि कानपुर में यह कार्यक्रम भारत सरकार शिक्षा विभाग की सिंधी भाषा विकास परिषद एवं शहीद हेमू कालाणी स्मृति शिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सिंधु इंटरनेशनल स्कूल में हुआ, जबकि लखनऊ में उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा सिंधु भवन में इसका आयोजन किया गया।
भारत की आज़ादी पुनः विश्वगुरु बनने का मार्ग

अपने उद्बोधन में साईं मसन्द साहिब ने शहीद हेमू कालाणी सहित देश की आज़ादी के लिए बलिदान देने वाले लाखों ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता केवल विदेशी शासन से मुक्ति तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य भारत द्वारा विश्वगुरु के रूप में पुनः अपनी भूमिका निभाना था।
उन्होंने यह भी बताया कि इस विचार का उल्लेख बाल गंगाधर तिलक, महर्षि अरविंद जैसे स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं के व्याख्यानों एवं अभिलेखों में मिलता है।
सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन की ओर कदम

साईं मसन्द साहिब ने बताया कि वे पिछले तेरह वर्षों से चारों शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में, प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन स्थापित करवाने हेतु अभियान चला रहे हैं।
इसका एक महत्वपूर्ण पड़ाव वर्ष 2018 में तब आया जब द्वारिका मठ एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने सुयोग्य शिष्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी (वर्तमान में ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य) के संयोजकत्व में परम धर्म संसद 1008 का गठन किया।
गौ प्रतिष्ठा अभियान एवं राष्ट्रमाता का दर्जा
परम धर्म संसद 1008 भारत के चारों शंकराचार्यों के नेतृत्व में कार्यरत 1008 धार्मिक और सामाजिक विभूतियों का एक विश्वस्तरीय मार्गदर्शक संगठन है, जो सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन की स्थापना हेतु प्रयासरत है।

इस दिशा में, संगठन गौ प्रतिष्ठा अभियान चला रहा है, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार से गौमाता को पशु सूची से हटाकर राष्ट्रमाता घोषित करने एवं गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
भारत की सनातन संस्कृति को पुनर्स्थापित करने का संकल्प
साईं मसन्द साहिब ने अपने व्याख्यानों में यह संदेश दिया कि भारत की स्वतंत्रता का उद्देश्य तभी पूर्ण होगा जब देश अपने प्राचीन सनातन मूल्यों को पुनः स्थापित कर, विश्वगुरु के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा।
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